bhool bhulaiyaa 3 review : दिवाली के मौके पर रिलीज हुई फिल्म ‘bhool bhulaiyaa 3’ असल में भाई-बहन के रिश्तों पर आधारित है, जिसे खासतौर पर भैया दूज के माहौल में पेश किया गया है। कहानी शुरू होती है दो सौतेले भाई-बहनों के बीच की साजिश से, और यह दिखाती है कि आज के दौर में खून के रिश्तों से ज्यादा अपनापन और सहृदयता का महत्व है। कहानी में दो बेटियों के पिता को बेटे की चाहत उसे अपने महल की नौकरानी के पास ले जाती है।
सौतेले भाई को अपनी बहनों का प्यार तो नहीं मिलता, लेकिन उसके लिए उसकी दुनिया उन्हीं बहनों के इर्द-गिर्द घूमती है। फिर एक ऐसा राज़ सामने आता है, जो भूल भुलैया की तरह उलझनों से भरा होता है और फिल्म का मुख्य आकर्षण बन जाता है। निर्देशक अनीस बज्मी की यह फिल्म शुरुआत में थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन बाद में इसमें मनोरंजन का भरपूर तड़का है।
विवरण | जानकारी |
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फिल्म का नाम | भूल भुलैया 3 |
कलाकार | माधुरी दीक्षित, विद्या बालन, कार्तिक आर्यन, तृप्ति डिमरी, राजपाल यादव, विजय राज, संजय मिश्रा, अश्वनी कलेकर, राजेश शर्मा, अरुण कुशवाह आदि |
लेखक | आकाश कौशिक |
निर्देशक | अनीस बज्मी |
निर्माता | टी सीरीज और सिने वन स्टूडियोज |
रिलीज़ डेट | 1 नवंबर 2024 |
नेटफ्लिक्स का ‘टुडुम‘
निर्देशक प्रियदर्शन की फिल्म ‘भूल भुलैया‘ को रिलीज हुए 17 साल हो गए हैं, लेकिन मंजुलिका और छोटा पंडित जैसे किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं, जिसमें इन किरदारों को निभाने वाले विद्या बालन और राजपाल यादव की मेहनत का बड़ा योगदान है। ‘भूल भुलैया 2‘ में कार्तिक आर्यन ने रूह बाबा के रूप में अपनी छाप छोड़ी और बड़े सितारों की लीग में अपनी जगह बनाई, लेकिन इसके बाद उनकी कोई फिल्म वैसा जादू नहीं बिखेर सकी।
अब ‘bhool bhulaiyaa 3’ में कार्तिक को माधुरी के मोहक अंदाज ने खूब सहारा दिया है। विद्या बालन की जीवंतता भी फिल्म में एक अहम भूमिका निभाती है। और, अनीस बज्मी के निर्देशन में फिल्म का क्लाइमेक्स ऐसा है कि मंजुलिका का नाम सीधे नेटफ्लिक्स की अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता तक पहुंच गया है।
कौन है मंजुलिका?
फिल्म ‘भूल भुलैया 3‘ का मुख्य रहस्य यही है कि “मंजुलिका आखिर है कौन?” निर्देशक अनीस बज्मी ने आकाश कौशिक के साथ मिलकर पहले एक घंटे दर्शकों को कहानी में उलझाए रखा है, मानो एक भूलभुलैया में भटका रहे हों। कार्तिक आर्यन से अक्षय कुमार जैसा अभिनय करवाने के साथ-साथ, तृप्ति डिमरी के किरदार के लिए भी कुछ अजीब कपड़ों का इस्तेमाल किया गया है, जो दर्शकों को थोड़ी उलझन में डाल देता है। पर यह सब एक योजना के तहत किया गया है,
जिसमें दर्शक इंटरवल से ठीक पहले अचानक चौंक जाते हैं। जैसे ही माधुरी दीक्षित ऊंची हील की सैंडल पहनकर परदे पर आती हैं, फिल्म की पूरी दिशा बदल जाती है – कहानी का ट्रीटमेंट, माहौल, सब कुछ नया हो जाता है। जो दर्शक पहले की दोनों फिल्मों से परिचित हैं, वे फिर से इस रहस्य में डूब जाते हैं और अंदाजे लगाने लगते हैं कि इस बार मंजुलिका कौन हो सकती है – माधुरी दीक्षित या विद्या बालन?
कार्तिक की क्लाइमेक्स वाली कलाकारी
फिल्म ‘भूल भुलैया 3‘ में तृप्ति डिमरी का ठुड्डी का रहस्य बीच-बीच में सस्पेंस बनाए रखता है, लेकिन ऐसा लगता है कि निर्देशक अनीस बज्मी ने इसका खुलासा ‘भूल भुलैया 4‘ के लिए बचा रखा है। भले ही कॉमेडी की भरमार न हो, लेकिन फिल्म में जगह-जगह बेहद सटीक तंज मिलते हैं। मजेदार रूप से कार्तिक आर्यन को उनकी ही फिल्म ‘शहजादा’ के नाम से भागते हुए दिखाया गया है, और टी-सीरीज भी फिल्म की जिम्मेदारियों से भागती हुई प्रतीत होती है।
राजपाल यादव का छोटा पंडित का किरदार, डिज्नी की सीरीज ‘मूनलाइट’ से प्रेरित ‘जवान’ अवतार में एकदम सही समय पर आता है और दर्शकों को खूब भाता है। फिल्म का क्लाइमेक्स तीन हिस्सों में बंटा हुआ है, और हर क्लाइमेक्स कहानी को एक अलग मोड़ पर ले जाता है।
जैसे-जैसे कहानी दो सौ साल पहले के एक राजकुमार की भावनाओं तक पहुंचती है, कार्तिक आर्यन की अदाकारी और साहस की सराहना करने का मन करता है। वहीं माधुरी दीक्षित और विद्या बालन के अभिनय ने इस पूरे भाग में ऐसा रंग जमाया है कि दर्शकों से तालियां अपने आप बज उठती हैं।
माधुरी और विद्या ने संभाली फिल्म
यह कहानी पुनर्जन्म पर आधारित है, जो दो सौ साल पुराने समय को आज के दौर से जोड़ती है। हिंदी सिनेमा में पुनर्जन्म की कहानियां अक्सर हिट रही हैं, और यह फिल्म भी उसी कड़ी में एक अच्छी कोशिश है।
अभिनय की बात करें तो माधुरी और विद्या बालन ने शानदार प्रदर्शन किया है, जिनके साथ कार्तिक आर्यन ने भी बेहतरीन तालमेल बिठाया है। हालांकि, तृप्ति डिमरी की शोहरत अब उनके लिए उलटी पड़ती दिख रही है क्योंकि उनके अभिनय में वह मेहनत नजर नहीं आती जो पहले थी।
फिल्म में संजय मिश्रा, अश्विनी कलेसकर, राजपाल यादव, राजेश शर्मा और विजय राज जैसे कलाकार अलग-अलग अंदाज में बंगाली बोलते नजर आते हैं, जो कभी-कभी थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन फिर भी ठीक तरह से काम हो जाता है।
अरुण कुशवाह का काम खासतौर से ध्यान देने लायक है। रूह बाबा के असिस्टेंट के रूप में उन्होंने लिलिपुट के स्तर का अभिनय किया है।
फिल्म का संगीत प्रीतम ने ही दिया है, और ‘हरे राम, हरे कृष्णा’ और ‘अमि जे तोमार’ जैसे गाने तो क्लासिक बन चुके हैं।